बांदा,
बबेरू तहसील के किसानों की वर्षों पुरानी जलभराव की समस्या एक बार फिर गंभीर रूप ले चुकी है।
लगातार हो रहे जलभराव से हर वर्ष हजारों बीघा कृषि भूमि प्रभावित होती है!
जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी मुद्दे को लेकर जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मंडलायुक्त चित्रकूट धाम मंडल,बांदा को ज्ञापन सौंपा और तत्काल राहत व स्थायी समाधान की मांग की।
बीस से अधिक ग्राम पंचायतें प्रभावित
प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन में बताया कि शिव,आहार, अरथरा,पारा बन्नू बेगम,मंठा, मियां बरौली सहित बबेरू की 20 से अधिक ग्राम पंचायतें हर साल जलभराव की चपेट में रहती हैं।
इससे 5,000 से 10,000 बीघा तक कृषि भूमि पर फसलें नष्ट हो जाती हैं।
किसानों का कहना है कि उन्हें न तो समय पर राहत मिलती है और न ही स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस प्रयास हुआ है।
किसानों की हालत दयनीय
स्थानीय किसान महेंद्र सिंह ने बताया कि “हर साल कर्ज़ लेकर बुवाई करते हैं,और जलभराव से पूरी फसल तबाह हो जाती है।
प्रशासनिक उदासीनता से हम लगातार संकट में हैं।”
JDU ने रखी ये चार मुख्य मांगें:
1.बबेरू क्षेत्र में प्रभावी जल निकासी व्यवस्था के लिए नाले, पुलिया और जल मार्गों का निर्माण।
2.फसल नष्ट होने पर प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा।
3.दीर्घकालिक जल प्रबंधन और सिंचाई योजना लागू की जाए।
4.प्रभावित ग्रामों को प्राथमिकता के आधार पर विकास योजनाओं में शामिल किया जाए।
आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गरिमा सिंह पटेल ने किया।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे!
जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। प्रतिनिधिमंडल में जेडीयू जिला अध्यक्ष उमाकांत सविता,जेडीयू जिला अध्यक्ष नगर विकास प्रकोष्ठ बांदा काशी प्रसाद याज्ञिक,जेडीयू प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल और जेडीयू जिला अध्यक्ष दिव्यांग प्रकोष्ठ बांदा श्रीराम प्रजापति भी शामिल थे।
बुंदेलखंड की स्थायी समस्या बनी जल प्रबंधन की चुनौती
यह समस्या केवल बबेरू की नहीं,बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र की है,जहां जल निकासी और सिंचाई की कमी वर्षों से किसानों को प्रभावित कर रही है। जलभराव,सूखा और खराब प्रबंधन ने किसानों को त्रस्त कर दिया है।
रिपोर्ट
संजीव मोहन सिंह
बांदा