राहुल और अखिलेश में फोन पर हुई बात, फूलपुर सीट के लिए होगी यह नई डील!
फूलपुर सीट पर शीर्ष नेताओं की चुप्पी, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा
5 सीटों पर अड़ी थी कांग्रेस, 1 फोन कॉल से कैसे बदली UP Bypolls की तस्वीर?
उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव (UP Bypoll) होना है. उपचुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव (Rahul Akhilesh On Seat Sharing) के बीच बातचीत हुई. प्रियंका गांधी ने श्रीनगर में अखिलेश यादव से हुई मुलाक़ात के दौरान फूलपुर विधानसभा सीट की मांग की थी. लेकिन अखिलेश यादव इसके लिए तैयार नहीं है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को लिखित में दो विधानसभा सीटें अलीगढ़ की खैर और ग़ाज़ियाबाद सदर देने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है.
खबर है कि मन मुताबिक सीट नहीं मिलने की वजह से कांग्रेस नाराज चल रही है. इस कारण से उन्होंने उपचुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 23 अक्टूबर की रात को राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच बातचीत हुई. इस बातचीत में दो सीटों पर चुनाव लड़ने की बजाय राहुल गांधी ने किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.
कांग्रेस मीरापुर और फूलपुर की सीट पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी. लेकिन सपा ने यहां से पहले ही मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे दिया था. सपा ने इन सीटों की जगह गाजियाबाद और खैर की सीट ऑफर की थी. लेकिन इन सीटों पर पिछले दो बार से भाजपा को जीत मिल रही है. ऐसे में कांग्रेस को इन सीटों से चुनाव नहीं लड़ना ही ठीक लगा.
राहुल केरल के वायनाड में अपनी बहन प्रियंका गांधी के नॉमिनेशन में पहुंचे थे. खबर है कि वहां से आने के बाद उन्होंने अखिलेश यादव से बात की. और इस बातचीत के बाद ही यादव ने x पर अपना बयान जारी कर दिया.
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बात सीट की नहीं जीत की है. इस रणनीति के तहत ‘INDIA गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के
चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक बड़ी जीत के लिए एकजुट होकर,
कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है. INDIA गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है.
कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से समाजवादी पार्टी की शक्ति कई गुना बढ़ गई है.
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दरअसल फूलपुर सीट से जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है. कांग्रेस को लगता है कि इलाहाबाद से सटी ये सीट कांग्रेस की पुश्तैनी सीट है. कांग्रेस को शायद लगता है कि उसका इस सीट पर प्रभाव है. लेकिन अखिलेश इस सीट को किसी को भी देने के लिए तैयार नहीं हैं. वह तो उम्मीदवार के नाम का ऐलान भी कर चुके हैं. लेकिन अब भी कांग्रेस को उम्मीद है कि शायद ये सीट उनको मिल जाए. हालांकि खबर सामने आई है कि सीटों को लेकर अब अखिलेश और राहुल के बीच बातचीत हो चुकी है. कांग्रेस को कौन सी दो सीटें मिलेंगी इसे लेकर समझौता हो चुका है, सिर्फ ऐलान ही बाकी है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से ही मजबूत स्थिति में नहीं है. जो दो सीटें दिए जाने की बात सामने आ रही है, उन पर कांग्रेस का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं है. दरअसल गाजियाबाद की सदर सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है. वहीं अलीगढ़ की खैर सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस 1500 वोटों तक भी नहीं पहुंच सकी थी. शायद यही वजह है कि वह अपने प्रभाव वाली सीट उप चुनाव में चाहती है. कांग्रेस अपने लिए ऐसी सीट चाहती है, जिस पर उनके लिए जीत की राह आसान हो. इसीलिए वह या तो मिर्जापुर की मझवां या फिर प्रयागराज की फूलपुर सीट चाहती थी. लेकिन कांग्रेस के हिस्से क्या आया है, ये ऐलान के बाद ही साफ हो सकेगा.