प्रतापगढ़ डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड: 11 साल बाद CBI कोर्ट का फैसला, 10 दोषी करार
कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को मिली क्लीन चिट,
राजा भैया को फ़साने के लिये रचे गए थे राजनैतिक प्रपंच,लेकिन नहीं मिली कामियाबी

आखिर क्या हैं कुंडा की अन सूनी हकीकत ,जिसे धयान से सुनें ,
क्या हुआ था उस दिन, गांव में डीएसपी जियाउल हक के साथ,
क्यों गांव के लोगों ने उतारा मौत के घाट,
कौन थे वो पोलिसकर्मी जो डीएसपी को छोड़कर भाग गए थे
घटना आज महज 11 साल पहले की हैं ,हर रोज की तरह प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र के बलीपुर गांव में ग्राम प्रधान नन्हें यादव अपने गांव में ही,किसी जमीन के पास खड़े हुए थे, एकाएक दो बाइक सवार आते हैं और उनको गोलियों से भून दिया जाता हैं, इसके बाद गांव में आक्रोश फेल जाता हैं ,
गांव में फैले आक्रोश से राजा भैया से क्या लेना देना, ये भी सवाल बनता हैं
गांव में डीएसपी जियाउल हक की हत्या की गई उस राजा भैया कहाँ थे,फिर उन्हें फसना कौन चाहता था
और अब सीबीआई ने किन 10 लोगों को दोषी करार दिया हैं,ये भी जानेंगे
तमाम सारे सवालों के जबाब सुनिए बारी बारी से ?
Pratapgarh DSP Murder Case: आज से 11 साल पुराने प्रतापगढ़ कुंडा डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड में, CBI कोर्ट ने 10 लोगों को दोषी करार दिया है, कुंडा के चर्चित विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव को पहले ही सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी थी,कोर्ट ने सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र में, 2013 में घटित हुए डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड में 11 साल बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 10 लोगों को दोषी करार दिया है, जिनमें फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, राम लखन गौतम, घनश्याम सरोज और अन्य शामिल हैं। वहीं, कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव को पहले ही सीबीआई की जांच में क्लीन चिट मिल चुकी है। कोर्ट ने सजा पर फैसला सुरक्षित रखा है, जिससे दोषियों को जल्द ही सजा सुनाई जाएगी।
आइये जानते हैं पूरी घटना क्या हैं ?
ये वाक्या ,2 मार्च 2013 का है, जब उत्तर प्रदेश पुलिस के डीएसपी जियाउल हक, प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र के बलीपुर गांव में, ग्राम प्रधान नन्हें यादव की हत्या की सूचना पछले रास्ते से गांव में पहुंचते हैं अचानक गांव वाले उन्हें घेर लेते हैं , नन्हें यादव की हत्या के बाद वहां का माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया था, और उनके समर्थकों ने जमकर बवाल किया था,जब डीएसपी हक बलीपुर गांव पहुंचे, तो भीड़ ने उन पर हमला कर दिया, पहले उन्हें लाठियों और डंडों से पीटा गया, फिर बाद में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई,लेकिन इसी बीच डीएसपी की सुरक्षा में तैनात और एक सिपाही ,छुप जाते हैं , इसी दौरान डीएसपी जियाउल हक गार्मीणों का सामना करते हैं ,इस दौरान एक यादव की मौत हो जाती हैं , लेकिन ग्रामीणों ने डीएसपी को घेर लिया और मौत के घात उतार दिया, इस मामले में राजा भैया का नाम उछाला गया,
जबकि राजाभैया वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्हें स्तीफा देना पड़ा,
इस हत्याकांड में डीएसपी जियाउल हक की लाश तीन घंटे तक, गांव के प्रधान के घर के पीछे पड़ी रही, इस दौरान कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भी साजिश का आरोप लगाया गया था, लेकिन सीबीआई की जांच में उन्हें कोई दोषी नहीं पाया गया, और उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी,सिर्फ डेड विस्वा जमीन के लिए हत्या कांड हुआ,
डीएसपी मुस्लिम थे तो राजनीति तेज हो गई,और राजा भैया ठाकुर थे तो उन्हें फंसाया जाने लगा,जबकि मौत के घाट उतारने वालों का कोई नाम नहीं ले रहा था,क्युकी उस वक्त सीएम अखिलेश यादव थे ,
लेकिन सीबीआई जांच के बाद कहानी सामने आ चुकी हैं जिसकी सचाई जनता के सामने हैं,उस दौरान डीएसपी के पत्नी ने मीडिया में आकर राजा भैया को फंसाने के लिए खूब बबाल काटा, लेकिन सच ऐसा निकला कि पूरे केस में राजा भैया का कोई सबूत नहीं मिला,उन्हें सिर्फ और सिर्फ इसलिए बदनाम किया जा रहा था की घटना उनकी विधानसभा की थी,और कुंडा के राजा रघुराज प्रताप सिंह कहे जाते हैं,
सीबीआई की जांच और राजा भैया को क्लीन चिट
इस मामले में सीबीआई ने अप्रैल 2013 में डीएसपी जियाउल हक की हत्या के आरोप में ग्राम प्रधान के बेटे पवन, बबलू, फूलचंद और मंजीत यादव को गिरफ्तार किया था। वहीं, कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम भी इस केस में उछला था, लेकिन सीबीआई की जांच में उन्हें दोषी नहीं पाया गया। जांच में यह साबित हुआ कि राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव का इस हत्याकांड में कोई हाथ नहीं था, जिसके चलते उन्हें क्लीन चिट दी गई।
संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या
कुंडा के बलीपुर गांव में डीएसपी जियाउल हक की हत्या के बाद पूरा मामला राजनीतिक और सामाजिक तनाव का विषय बन गया था। प्रधान नन्हें यादव की हत्या ने भी गांव में बवाल खड़ा कर दिया था। प्रधान की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने हिंसा शुरू कर दी थी, जिसके चलते गांव में तनावपूर्ण माहौल बन गया था। डीएसपी जियाउल हक ने उस समय हिम्मत दिखाते हुए भीड़ का सामना किया, लेकिन उनके साथी पुलिसकर्मी उन्हें अकेला छोड़कर भाग गए थे, जिससे उनकी जान नहीं बच पाई।
इस मामले में 11 साल बाद सीबीआई कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें 10 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। हालांकि कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ,और उनके करीबी गुलशन यादव को, पहले ही इस मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है। कोर्ट ने सजा पर फैसला सुरक्षित रखा है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दोषियों को सजा सुनाई जाएगी,











