भारत का वह राष्ट्रपति,जिसने देश में लगाया आपातकाल
इंदिरा गांधी ने क्यों लगावाया था देश में आपातकाल
क्या है कांग्रेस में हुए आपातकाल का असली सच
अगले 5 मिनट इस खबर को जरा ध्यान से सुनियेगा इस वीडियो में हम आपको बताने जा रहे है कांग्रेस सरकार में हुए आपातकाल का वो सच जिस से सायद आप बेखबर होंगे
25 जून 1975.यह वह दिन है, जिसे भारतीय इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में जाना जाता है। इसी दिन देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लागू कर दिया।
12 जून 1975… यही वह तारीख है, जिसने देश में इमरजेंसी लगाने की बुनियाद रखी।
दरअसल, इसी दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए गलत तौर-तरीके अपनाने का दोषी पाया और उनका चुनाव रद्द कर दिया।
भारत में इमरजेंसी 25 जून 1975 को लगाई गई, जो 21 मार्च 1977 यानी 21 महीने तक लागू रहा। इस दौरान चुनाव स्थगित हो गए। लोगों के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया। इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में बंद करवा दिया और प्रेस पर भी बैन लगा दिया। इंदिरा के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर पुरुष नसबंदी अभियान चलाया गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सबसे अधिक काली अवधि’ कहा था।
इमरजेंसी के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर बैन लगा दिया गया। आरएसएस को विपक्षी नेताओं का करीबी माना गया था है और यह आशंका भी जताई गई थी कि यह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकती है।
राजनारायण ने 1971 में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से इंदिरा गांधी के हाथों शिकस्त झेलने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। शीर्ष अदालत ने 24 जून 1975 को हाईकोर्ट के आदेश को तो बरकरार रखा, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की इजाजत दे दी।
इमरजेंसी लागू करने के करीब दो साल बाद इंदिरा गांधी ने अपने पक्ष में विरोध की लहर तेज होती देख लोकसभा को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। हालांकि, यह फैसला उनकी पार्टी और उनके लिए घातक साबित हुआ। खुद इंदिरा को रायबरेली संसदीय क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा।
जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आई और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। वहीं, संसद में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 50 से घटकर 153 हो गई। भारतीय राजनीति का यह महत्वपूर्ण समय था, क्योंकि 30 साल बाद देश में कोई गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी।