मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में बारिश की बेरुखी से किसान बेहाल है । लंबे समय से बारिश नहीं होने से सोयाबीन की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ा है, मौसम की बेरुखी से बर्बाद हुई फसलें, भारी नुक़सान से जुझ रहीं हैं, क्षेत्र के किसान की मानें तो रबी के मौसम की बोवनी भी होना मुश्किल है । अच्छी बारिश न होने से खेतों में खडी खरीफ की फसल में से 80 प्रतिशत से अधिक फसल सुख चुकीं हैं , जिस कारण किसान को आने वाले समय में आर्थिक तंगी के बुरे दौर से गुजरना पड सकता है ।किसानो ने प्रदेश की सरकार से जिले को सुखाग्रस्त घोषित करने की मांग के साथ ही मुआवजे व बीमा राशि की मांग की है ।
वीओ : लंबे समय से बारिश नहीं होने से किसानों की फसलें चौपट हो गई है मंदसौर जिले के मालिया खेरखेड़ा , नाहरगढ़ , बिल्लौद , खजुरीचंदावत , कयामपुर, संजीत की यह तस्वीर यह जहां पर फसलें पुरी तरह से नष्ट हो गई है ।पुरे जिले में यहीं हाल है । बारिश की बेरुखी के कारण सोयाबीन , मुंगफली, उड़द ,मक्का आदि फसले सुखने लगीं हैं क्षेत्र में बारिश की बेरुखी से फसलों पर बुरा प्रभाव पड रहा है , अच्छी फसल की आस लगाए बैठे किसानों की उम्मीद पर बारिश नहीं होने से पानी फिर गया है। गौरतलब है कि बारिश के डेढ़ महीने बीत चुके हैं और 2 दुसरा महीना बीतने वाला है। स्थिति यह है कि जिलेभर में बारिश न के बराबर ही हुई है। पहले तो खेती-किसानी पिछड़ गई, बारिश नहीं होने खरीफ की फसल का हाल बेहाल है। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि इस साल किसानों पर भगवान मेहरबान नहीं हुआ। मौसम की इस बेरुखी के बावजूद कुछ किसान अभी भी बारिश की आस की बाट जोह रहे हैं। वहीं फसल बर्बाद होने से जिले के किसानों को कर्ज चुकाने की चिंता के साथ जीवन यापन करने की भी समस्या है। किसानों द्वारा अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि वर्तमान में खेतों में खड़ी फसल की हालत देखकर रोना आ रहा है, इस साल कम बारिश होने से अधिकांश किसान आर्थिक स्थिति से बर्बाद हो जाएंगे । जिसको लेकर किसानों ने जिलों को सुखाग्रस्त घोषित करने के साथ ही मुआवजे व बीमा राशि की मांग की है ।