मनीष कश्यप की बीजेपी से विदाई की इनसाइड स्टोरी
मनीष कश्यप ने छोड़ी बीजेपी,धोखा मिला या ये चुनावी दांव?
बीजेपी छोड़ने के बाद क्या होगा मनीष का अगला कदम ?
क्या आप जानते हैं मनीष कश्यप ने बीजेपी क्यों छोड़ी? ये चुनावी पैतरा था या फिर कोई गहरी चोट? आखिर मनीष कश्यप किससे हारे — खुद से, तेजस्वी से या फिर बीजेपी से?
बिहार के एक गरीब परिवार से निकला लड़का, जिसने गरीबों की आवाज़ उठाई, मसीहा बन गया। फिर अचानक सियासत से टकराव शुरू हुआ। पहले FIR, फिर NSA की धाराएं और जेल की सूखी रोटियां। बाहर जनता दूध से नहलाती रही और अंदर सिस्टम मसलता रहा। बीजेपी से बुलावा आया, मनीष कश्यप चले गए। लेकिन कहानी वहां से बदल गई।
पहले जहां मनीष खड़े हो जाते थे, वहीं लाइन लगती थी। अब वही मनीष पिटे, और साथ खड़े दिखे गिने-चुने लोग। सबसे चौंकाने वाली बात — बीजेपी बिल्कुल साथ नहीं आई। अब मनीष फिर से आम इंसान बनने का दावा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा क्यों हुआ?
इनसाइड स्टोरी ये है — बीजेपी ने मनीष से वादा किया था कि चुनाव के बाद कोई पद देंगे। लेकिन वह वादा अधूरा रह गया।
कई बार बीजेपी नेताओं से मनीष ने बात की, काम के लिए प्रस्ताव भेजे — कोई सुनवाई नहीं हुई। मनीष कश्यप पर अस्पताल में हमला हुआ, लेकिन कोई बड़ा बीजेपी नेता उनसे मिलने तक नहीं पहुंचा। बीजेपी में शामिल होते ही मनीष के साथ-साथ उनके समर्थक भी बंट गए। \जब तक YouTube पर थे, सबके हीरो थे। पार्टी में जाते ही विरोध भी पैदा हो गए। इस एक साल में “सन ऑफ बिहार” से “विलेन ऑफ बीजेपी” तक का सफर तय हो गया। मनोज तिवारी उन्हें बीजेपी में लाए, लेकिन वक्त आने पर साथ खड़े नहीं हो पाए। मनीष ने बिहार चुनाव में टिकट मांगा — बीजेपी ने भाव तक नहीं दिया। अब वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, और बीजेपी के लिए चुनौती बनेंगे।
वैसे ये खेल सिर्फ मनीष के साथ नहीं हुआ — अपर्णा यादव को देख लीजिए — 2022 में बीजेपी में आईं, तीन साल तक कोई पद नहीं मिला। आख़िर में महिला आयोग में उपाध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया। बीजेपी में बड़े नेता भी अपनी बारी का इंतज़ार करते हैं। लेकिन मनीष का धैर्य टूट गया।
उन्हें समझ आ गया कि जब उनकी नहीं सुनी जाती, तो आम जनता की क्या सुनी जाएगी। उन्होंने पार्टी छोड़ने से पहले सोशल मीडिया पर लिखा — “मेरा अपमान करने वाले पीएमसीएच, अब तुम्हारा सुपरिटेंडेंट जाएगा… फिर स्वास्थ्य मंत्री की बारी है।” बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं मंगल पांडे — अब मनीष उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
बीजेपी से रिश्ता तोड़ने के बाद मनीष कश्यप अब दोबारा उसी रास्ते पर लौटने की बात कर रहे हैं —जनता के बीच, बिना किसी पार्टी के।👉 उन्होंने साफ कहा है —”मैं किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ूंगा। अब सिर्फ़ जनता की आवाज़ बनूंगा।”
अब सबसे बड़ा सवाल — क्या मनीष के समर्थक फिर लौटेंगे? क्या जनता उन्हें दोबारा “सन ऑफ बिहार” मानेगी? या फिर ये सिर्फ एक सियासी तमाशा था?