“कल आगरा की सड़कों पर दिखा करणी सेना का आक्रोश —
सैकड़ों लोग जुटे, भगवा झंडे, तलवारें और गगनभेदी नारे!”
“मुख्य मुद्दे थे —
🔸 राजपूत समाज के लिए आरक्षण
🔸 इतिहास की किताबों में तथ्यों से छेड़छाड़
🔸 और फिल्मों में उनकी छवि को तोड़-मरोड़कर पेश करना।”
“पुलिस ने मोर्चा संभाला, लेकिन कुछ जगहों पर हालात गर्म हुए —
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।”
12 अप्रैल की सुबह, आगरा की फिज़ा कुछ अलग थी।
ना त्योहार था, ना कोई रैली।
लेकिन पूरे शहर की नज़रें एक ही दिशा में थीं —
जहाँ करणी सेना ने हुंकार भरी।”
“पुलिस ने मोर्चा संभाला, लेकिन कुछ जगहों पर हालात गर्म हुए —
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।”
ये सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं था — ये एक समाज की चुप्पी टूटने की गूंज थी। मुद्दा tha ?– राजपूत समाज के इतिहास के साथ कथित छेड़छाड़,आरक्षण की मांग,और वेब सीरीज़ से लेकर किताबों तक,हर जगह उनकी पहचान को चुनौती देना।”
करणी सेना ने साफ कहा — ‘अगर हमारी परंपराओं से खेला गया, तो आंदोलन पूरे देश में फैलेगा।'”
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“पुलिस ने मोर्चा संभाला, लेकिन कुछ जगहों पर हालात गर्म हुए — प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।”सैकड़ों लोग जुटे, भगवा झंडे, तलवारें और गगनभेदी नारे!”
करणी सेना का नेतृत्व कर रहे राज शेखावत ने साफ़ कहा — अगर सरकार ने रामजीलाल पर कार्रवाई नहीं की, तो दिल्ली की तरफ़ मार्च होगा।” अबकी बार बर्दाश्त नहीं, बलिदान होगा!” – शेखावत की चेतावनी
raj shekhawat byte:-
प्रशासन ने पुलिस बल तैनात किया, लेकिन जोश इतना था कि कुछ जगहों पर हाथापाई और नोकझोंक भी हुई। हालात बिगड़ते इससे पहले काबू पा लिया गया।”
इस आंदोलन की खास बात थी इसमें शामिल युवा और महिलाएं — जो सिर्फ इतिहास नहीं, अपने भविष्य की लड़ाई भी लड़ रहे हैं।”
हमारे पूर्वजों ने देश को बचाने के लिए जान दी है, और आज हम उनकी छवि बचाने के लिए लड़ रहे हैं। सरकार को अब सुनना ही पड़ेगा!”
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राणा सांगा गद्दार थे’ — ये एक लाइन थी, लेकिन इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया। सपा नेता रामजीलाल के इस विवादित बयान ने पूरे राजस्थान और उत्तर भारत में बवंडर ला दिया। और सबसे पहले सड़कों पर उतरी — करणी सेना।”
रामजीलाल ने विधानसभा में राणा सांगा जैसे ऐतिहासिक योद्धा को ‘गद्दार’ कहकर राजपूत समाज की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई।” और फिर… आगरा में भड़की वो आग जो पूरे प्रदेश में फैल सकती है।
लोगों का सवाल है — क्या कोई नेता इतिहास के योद्धाओं का अपमान कर सकता है? क्या वोट बैंक के लिए देश के गौरव को दांव पर लगाया जा रहा है?”
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करणी सेना अब सिर्फ माफ़ी नहीं मांग रही — वो इंसाफ मांग रही है। राजनीति गरमा चुकी है, अब गेंद सरकार के पाले में है। कदम सही उठेगा या मुद्दा और भड़केगा — आने वाले दिन तय करेंगे।”
byte gogamedi patni :–
“कभी इतिहास में वीरता की मिसाल बने राणा सांगा, आज राजनीति के बीच विवाद का विषय बन गए हैं। सपा नेता रामजीलाल के बयान ने एक समाज के घाव कुरेद दिए। ‘गद्दार’ शब्द ने आगरा के ज़मीर को झकझोर दिया।”
प्रदर्शनकारियों की आंखों में सिर्फ ग़ुस्सा नहीं, आँसू भी थे। आंदोलन की आग, इतिहास के सम्मान की लड़ाई बन गई। हर चेहरे पर एक ही मांग — ‘हमारे वीरों का अपमान नहीं चलेगा।’”
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ये सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं था — ये उस दर्द की चीख थी, जो तब उठती है जब राजनीति, शौर्य का मज़ाक बनाती है। क्या कोई नेता इतिहास बदल सकता है? या इतिहास ही तय करेगा किसे जनता याद रखेगी?”
क्या ये गुस्सा सिर्फ संस्कृति के नाम पर है? या इसके पीछे राजनीति भी है? सवाल उठते हैं — क्या करणी सेना का ये रूप सिर्फ विरोध है या आने वाले चुनावों की रणनीति का हिस्सा?”
आगरा का ये प्रदर्शन खत्म ज़रूर हुआ, लेकिन इसकी गूंज दूर तक जाएगी। अब देखना ये है कि सरकार जवाब देती है, या अगला मोर्चा कहीं और खुलेगा।”