Qatar Death Verdict:
भारत के 8 नौ सैनिक अधिकारों को क़तर में मौत की सजा, आखिर क्या हैं उनका कसूर,भारत से कतर कैसे पहुंचे अधिकारी, क्या आरोप साबित हुआ,
सवाल ये सरकार क्या क़र रही हैं,
दरहसल :कतर की एक अदालत ने कथित तौर पर कतर के खिलाफ इजरायल की ओर से जासूसी करने के आरोप में आठ सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई है। भारत ने भी इस घटनाक्रम पर हैरानी जताते हुए कहा है कि वह इस फैसले का विरोध करेगा। जिन भारतीय नौसेना के आठ सेवानिवृत्त कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई है,
अब जानते हैं कौन कौन से वो नौ सैनिक अधिकारी हैं जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई हैं ,
उसमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश हैं। इन सभी पूर्व अफसरों ने भारतीय नौसेना में 20 साल तक सेवा सेवा दी थी. नेवी में रहते हुए उनका कार्यकाल बेदाग रहा है और अहम पदों पर रहे हैं.
अब ये भी जान लेते हैं भारत सरकार का क्या कहना हैं ?
भारत सरकार ने इस फैसले पर हैरानी जताई है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘कतर की अदालत ने आज अल-दहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामल में फैसला सुनाया है. मौत की सजा के फैसले से हम हैरान हैं. और फैसले की डिटेल्ड कॉपी का इंतजार कर रहे हैं. हर परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क . भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की जा रही है.’
विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिकों को कॉन्सुलर एक्सेस और कानूनी मदद दी जाती रहेगी.
अब इस मुद्दे पर भारत में राजनीति शुरू हो गई हैं
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया X पर लिखा, ‘कांग्रेस उम्मीद करती है कि भारत सरकार कतर सरकार के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेगी, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें अपील का पूरा मौका मिले. और उनकी जल्द से जल्द रिहाई के लिए हर जरूरी कोशिश की जाए.
इसी बीच
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी पूर्व कर्मियों को वापस लाना चाहिए. ओवैसी ने कहा, ‘अगस्त में मैंने कतर में फंसे नौसेना के पूर्व अधिकारियों का मुद्दा उठाया था. आज उन्हें मौत की सजा दी गई है. पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि इस्लामिक देश उनसे कितना प्यार करते हैं. उन्हें पूर्व अधिकारियों को वापस लाना चाहिए. ये बेहद ही दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है.’
अब क्या है आगे का रास्ता?
इस मामले में अब आगे का रास्ता क्या है? इस बारे में सीनियर एडवोकेट ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और ICCPR के प्रावधान कहते हैं कि कुछ एक मामलों को छोड़कर आम तौर पर फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए.
उन्होंने बताया कि भारत के पास कई रास्ते हैं. पहला तो यही कि इस फैसले को कतर की ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है. अगर उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या अपील नहीं सुनी जाती है तो भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी जा सकता है.वहीं उन्होंने कहा की मौत की सजा को रोकने के लिए भारत राजनयिक स्तर पर दबाव भी बना सकता है. इतना ही नहीं, एनजीओ और सिविल सोसायटी सोसायटी भी इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठा सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के पास जाने का रास्ता भी भारत के पास है.
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की महिला ने ट्वीट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में हैं. मीतू भार्गव कमांडर पूर्णेंदु तिवारी की बहन हैं.
इन अफसरों पर कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है. कतर की की न्यूज वेबसाइट अल-जजीरा के रिपोर्ट के मुताबिक, इन अफसरों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां इजरायल को देने का आरोप है.
हालांकि, कतर सरकार की ओर से इन पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ खास जानकारी भारत सरकार के साझा नहीं की गई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक, इस साल 29 मार्च को इन पूर्व अफसरों के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ था. तीन अक्टूबर को मामले में सातवीं सुनवाई हुई थी.
कतर में कर क्या रहे थे ये अफसर?
नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल-दहरा कंपनी में काम करते थे. ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेसी सर्विस प्रोवाइड करती थी. साथ ही कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी.
इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल आजमी चलाते थे. पिछले साल उन्हें भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि, नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था.
ये कंपनी इस साल 31 मई को बंद हो गई है. इस कंपनी में लगभग 75 भारतीय नागरिक काम करते थे, जिनमें ज्यादातर नौसेना के पूर्व अफसर थे. कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया.
हलांकि भारत सरकार इस मुद्दे सरकार भी कार्यवाही पर लगी हुई हैं,इस मौत की सजा को रोकने के लिए और भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश की जा रही,और कैस को ऊपरी अदलात में ले जाय जाएगा,और नहीं सुनवाई होने पर अंतरास्ट्रीय अदालत में ले जाएंगे ,
इस पर आपकी क्या राय हैं कमेंट में जरूर लिखें
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