- महिला शशक्तिकरण अधिमियम:
अर्जुन मेघवाल ने किया दावा की अपने बिल के पास होते ही महिलाओं को मिलेगा 33 परसेंट आरक्षण। ये बिल सबसे पहले यह बिल आया राज्य सभा में उसके बाद बिल के आने के बाद डिपार्टमेंट कमेटी में गया और नारी शक्ति अधिनियम एक नयी पहल है जो की नए संसद में आते ही सबसे पहले इसी पर चर्चा हुई.
इस से हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं कि जो राजनीतिक क्षेत्र में तो सामान्य होगी लेकिन सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में समानता नहीं होगी इसको कौन दूर करेगा तो धन-धन अकाउंट आया एक महिला के अकाउंट एक के अकाउंट में समानता थी एक के में नहीं थी
अध्यक्ष महोदय पीएम आवास सामान्य थी जिसकी बात अभिरंजन जी कर रहे थे,, समानता थी एक के घर बिजली एक के घर बिजली नहीं और एक के करनाल से मुद्रा योजना में भी जैसे समस्या को दूर करने का काम अगर किसी ने किया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है इसलिए यह महिलाओं को सशक्तिकरण भी करेगा और महिलाओं का उत्थान भी करेगा और यह दशा भी देगा इसलिए मैं इसकी अनुमति चाहता हूं आपसे यह नारी शक्ति बंधन के विकास में नारी शक्ति की भूमिका को निर्धारित करने वाला होगा 2047 तक के अमृत काल में विकसित भारत के निर्माण में मिल का पत्थर साबित होगा महिला सशक्तिकरण में दिशा देने वाला होगा नए भारत के निर्माण में ऐतिहासिक महिला नेतृत्व को पहचान दिलाने वाला होगा संपूर्ण विश्व के लिए प्रसिद्ध होगा इसलिए मैं आपसे अनुमति चाहता हूं कि विधेयक को पुनः साबित करने की अनुमति दी जाए
‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।
महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वार कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरुरत पूरी हो जायेगी। आज जरुरत है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।