करहल/मैनपुरी
इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ.जे.पी.यादव एवं प्रबंधक श्री मती सरिता सिंह ने भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर तिलक करके माल्यार्पण किया।
डॉ.जे.पी.यादव ने विद्यालय में उपस्थित समस्त स्टाफ को संबोधित करते हुए बताया कि विश्वकर्मा सृष्टि के प्रथम शिल्पी,वास्तुकार एवम् अभियंता थे!
महर्षि विश्वकर्मा हिन्दू धर्म में निर्माण,वास्तुकला और सृजन के देवता है,उन्हें देवताओं के लिये रथ,शस्त्र और अस्त्र बनाने बाला बताया।
साथ ही सोने की लंका का निर्माणकर्ता भी माना जाता है। वे महर्षि भृगु के वंशज है और उनके जन्म दिवस को 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाया जाता है।
विश्वकर्मा को ब्रह्मांड और सृष्टि के निर्माता के रूप में जाना जाता है उन्होंने देवताओं के लिए कई दिव्य नगर और भवन जैसे इंद्रपुरी, कुबेरपुरी,यमपुरी और सोने की लंका का निर्माण किया।
उन्होंने मनुष्यों की सुख – सुविधाओं के लिए औजारों और मशीनों का निर्माण किया।
उन्होंने देवताओं के लिए सुदर्शन चक्र,त्रिशूल और कालदण्ड जैसे अस्त्र-शस्त्र भी बनाए।
इस दिन शिल्पकार, कारीगर और इंजीनियर अपनी कला और उपकरणों की पूजा करते हैं और विश्वकर्मा देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री चंद्रजीत यादव,बृजेंद्र,सुधीर,धर्मेन्द्र, नजमा,सोनी,अर्चना,सुरेंद्र, खुशी,गजाला,मोहित, विनय एवम् शिवकुमार, विक्रम,आकाश,रूपेश, राजीव।
छात्र एवं छात्राएं पलक साक्षी, रितिक,उत्कर्ष,युवराज, संध्या,प्रियल आदि उपस्थित रहे ।
रिपोर्ट-अजय कुमार
खबर एक्सपर्ट
मैनपुरी