वसरेहर/इटावा
मुझे न धनवान चाहिए,!
मुझे न बलवान चाहिए।!
राष्ट्र हित में “जगराम” को
इंसान और इंसान चाहिए।।
जिसमें इंसानियत नहीं वह कभी समाज का हित नहीं कर सकता और न राष्ट्र का।
उक्त विचार मानव कल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगरामाचार्य ने संत रविदास जयंती पर नींवासई वसरेहर में समिति द्वारा आयोजित ” समरसता एकता ” कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि आज हम देख रहे हैं मानवीय मूल्यों में निरंतर गिरावट आती जा रही है। किसी समय धनिक व वाहुवली समाज व राष्ट्र की शान हुआ करते थे आज के समय में अधिकांश धनिक व वाहुवली लोगों का शोषण करते हैं।
. आज आप देख रहे हैं कि निजी स्वार्थ में लोगों को जाति, धर्म व सम्प्रदाय के नाम पर बांटा जा रहा है। नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है फलस्वरूप सौहार्द पूर्ण वातावरण का सर्वथा अभाव हो गया है।
रिश्ते टूट रहे परिवार बिखरने लगे। लोग बडभागी मानव जीवन को घुट घुट कर जीने पर मजवूर हो गये । शुगर, हार्ट अटैक जैसी भयंकर व्याधियों से लोग ग्रसित होते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संत रविदास जी भगवान श्रीकृष्ण के सच्चे उपासक थे वह किसी ढोंग पाखंड में आस्था नहीं रखते थे। कर्म में निष्ठा रखते थे। उनकी कहावत आज भी प्रचलित है ” जो मन चंगा तो कठोती में गंगा “।
अतः सभी लोगों से अपील करना चाहता हूं कि विना किसी भेदभाव के कर्म में निष्ठा रखते हुए रविदास जी के जीवन का अनुकरण कर आपसी सौहार्द पूर्ण वातावरण वनाये।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ अशोक यादव एम डी आदर्श राष्ट्रीय इन्स्टीट्यूशन मैंनपुरी ने संत रविदास जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया।
उन्होंने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि सामाजिक समरसता एकता के लिए अज्ञानता को मिटाना होगा। क्योंकि अज्ञानी अनपढ़ अपना हित अनहित नहीं समझ पाते। वह अराजक तव्तों के बहकावे में आकर कोई भी कदम उठा कर शांति व्यवस्था भंग कर देते हैं।
संचालन आचार्य श्री नारायण जिलाध्यक्ष माकसेस ने किया। आचार्य सतीश चंद्र, नेत्रपाल शर्मा,राकेश वानप्रस्थी आदि कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे।
खबर एक्सपर्ट
रिपोर्ट-अजय कुमार