खबर एक्सपर्ट
मुसीबत:
मैनपुरी अधिक समय तक मोबाइल का प्रयोग बच्चों में कई प्रकार की परेशानियां दे रहा है। आखों की समस्या के साथ ही अब बोलने की समस्या भी बच्चों में पैदा होने लगी है।
जिला अस्पताल में पिछले एक महीने में चार बच्चे इस प्रकार के पहुंचे हैं,जिनमें बोलने की क्षमता प्रभावित हुई है।
ऐसे बच्चों को जनपद में उपचार की उपचित व्यवस्था न होने पर आगरा और सैफई के लिए रेफर किया गया है।
जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ कक्ष में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इन मरीजों में कुछ ऐसे बच्चे भी पहुंच रहे हैं!
जिनकी मोबाइल की लत उनके लिए परेशानी का कारण बन रही है। इन बच्चों में जहां आखों की दिक्कत आ रही है,वहीं कुछ बच्चों में बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.अर्जुन सिंह ने बताया कि पिछले एक महीने में चार बच्चे ऐसे आए हैं जिन्हें बोलने में दिक्कत हो रही थी। इसका कारण प्रथम दृष्टया मोबाइल का प्रयोग सामने आया है।
इन बच्चों को उपचार के लिए सैफई और आगरा के लिए रेफर किया गया है।
स्क्रीन से दूर रखने का करें प्रयास
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.अर्जुन सिंह ने बताया कि छह साल से कम आयु वर्ग के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखने का प्रयास करें।
अगर स्क्रीन का उपयोग हो भी,तो वह वीडियो कॉलिंग जैसी सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण गतिविधियों तक ही सीमित हो। इसकी बजाय बच्चों को खिलौने, किताबें और शारीरिक खेलों के साथ व्यस्त रखें,जिससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही तरीके से हो सके। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं,बात करें,गाने गाएं,कहानियां सुनाएं।
उनकी प्रतिक्रियाओं को प्रोत्साहित करें।
यह उनके भाषा और सामाजिक कौशल के विकास में मदद करेगा।
बच्चों को गुंगा बना रहा मोबाइल
मनोवैज्ञानिक सलाहकार आरती सिंह ने बताया कि मोबाइल बच्चों को गूंगा बना रहा है।
ये मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ये स्थिति ज्यादातर नौकरी पेशा दंपती के बच्चों के साथ है।
पिछले कुछ दिनों से ऐसे मामले मेरे सामने आए हैं।
इनमें चार बच्चों में बोलने की क्षमता प्रभावित हुई है।ऐसे बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाने के बाद आगरा और सैफई ले जाने की की सलाह दी गई है।