जम्मू-कश्मीर में अपने परिवार को खोने के बाद बेटी बनी विधायक,तो लोगों ने बांटी मिठायीं
विधायक बनीं शगुन परिहार ने आतंकी हमले में पिता चाचा को खोया,लेकिन विधायक बनते ही किया ऐलान
विधायक बनते ही बोलीं बेटी सबसे पहले सुरक्षा व्यवस्था पर करुँगी काम,किसी को मेरी तरह ना देखना पड़े
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है, किश्तवाड़ सीट पर कुल 12 राउंड तक गिनती चली. कड़े मुकाबले में बीजेपी की शगुन परिहार 521 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहीं. दूसरे नंबर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू रहे. बीजेपी प्रत्याशी शगुन परिहार को जहां 29,053 वोट मिले तो वहीं सज्जाद अहमद किचलू को 28,532 वोट मिले. तीसरे नंबर पर पीडीपी उम्मीदवार फिरदौस अहमद टाक रहे. उन्हें मात्र 997 वोटों से संतोष करना पड़ा.
अपनी जीत पर शगुन परिहार ने कहा कि “सबसे पहले, मैं जो करूंगी, वह यह है कि सुरक्षा मुद्दों के कारण, हमने अपने कई सेना के जवानों को खो दिया है, मैंने अपने पिता को खो दिया है, कुछ लोगों ने अपने भाइयों और बेटों को खो दिया है… मेरी कोशिश यह सुनिश्चित करने की होगी कि यहां हर घर में खुशी हो…”
किश्तवाड़ जिला अनंतनाग और डोडा जिलों से घिरा हुआ है, और हिमाचल प्रदेश राज्य की सीमाओं को भी छूता है, इस सीट से बीजेपी ने शगुन परिहार को, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सज्जाद अहमद किचलू और पीडीपी ने फिरदौस अहमद टाक को चुनावी मैदान में उतारा था , हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ-साथ जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के भी आज रिजल्ट आने वाले हैं, इस दौरान सबकी निगाहें उधमपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का, हिस्सा किश्तवाड़ विधानसभा सीट के रिजल्ट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि इस सीट पर बीजेपी परचम लहरा चुका है.
इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच है, भाजपा ने इस सीट से 2018 में आतंकी हमले में पिता-चाचा को खोने, वाली शगुन परिहार को मैदान में उतारा है, वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने सज्जाद अहमद किचलू कोमैदान में उतारा था,लेकिन जीत के बाद शगुन परिहार क्या कहती नजर आईं ,
बाइट :Shagun Parihar
किश्तवाड़ विधानसभा सीट की भौगोलिक स्थिति
भौगोलिक स्थिति को देखा जाए तो किश्तवाड़ जिला 2007 में अस्तित्व में आया., किश्तवाड़ शहर श्रीनगर से लगभग 235 किलोमीटर दूर है, यह क्षेत्र 35-55 और 45-97 डिग्री देशांतर के बीच फैला हुआ है, जबकि इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 3000-15000 फीट तक है, इसे आमतौर पर ‘नीलम और केसर की भूमि’ कहा जाता है, और यह वन उत्पादों में भी समृद्ध है, किश्तवाड़ जिला अनंतनाग और डोडा जिलों से घिरा हुआ है, और हिमाचल प्रदेश राज्य की सीमाओं को भी छूता है,
किश्तवाड़ विधानसभा सीट पर चुनावी इतिहास
किश्तवाड़ विधानसभा सीट पर चुनावी इतिहास पर नजर डालें, तो पहली बार 1962 में मतदान हुआ, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की, इसके बाद, कांग्रेस ने 1967 में जीत दर्ज की और 1972 में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराया,हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 1977 में वापसी की, लेकिन इसके बाद से 1983 से 2008 तक यह सीट फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास रही, बीजेपी ने पहली बार 2014 के चुनाव में जीत हासिल की, जब उनके उम्मीदवार सुनील शर्मा ने सफलता पाई,
लेकिन इस सीट पर बीजेपी ने शगुन परिहार को मैदान में उतार कर जीत हासिल की हैं ,और विधायक बनी शगुन परिहारका कहना हैं की में सुरक्षा पर काम करूंगी