300 कमरे, 7 बड़े हॉल, 90 किलोमीटर लम्बाई
1600 साल पहले कैसी थी नालंदा यूनिवर्सिटी
किसने और क्यों लगाई थी विश्वविद्यालय में आग
नए कैंपस का PM मोदी ने किया उद्घाटन
नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी, इसे दुनिया का पहला रिहाइशी विश्वविद्यालय कहा जाता है. जहां एक समय में मध्य पूर्व एशिया के क़रीब 10 हज़ार छात्र एक परिसर में रहते हुए अध्ययन करते थे. उस वक्त वहां की लाइब्रेरी में करीब नब्बे लाख किताबों का संग्रह था. ये छात्र मेडिसिन, तर्कशास्त्र, गणित और बौद्ध सिद्धांतों के बारे में अध्ययन करते थे.
पटना से 90 किलोमीटर और बिहार शरीफ से करीब 12 किलोमीटर दूर दक्षिण में आज भी इस विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के खंडहर स्थित हैं. इस विश्विविद्याल को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है. आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, यह 800 साल तक अस्तित्व में रहा..
धर्मगूंज लाइब्रेरी में 3 लाख से अधिक किताबें मौजूद थीं,,नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 क्लासरूम हैं. यहां पर कुल 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है. यूनिवर्सिटी में दो ऑडिटोरियम भी हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जहां 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है.यही नहीं, छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी हैं
नालंदा विश्वविद्यालय का पुरातात्विक अवशेष, यूनेस्को की वैश्विक धरोहर स्थल में शामिल है. 1190 के दशक में, तुर्क-अफ़गान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में आक्रमणकारियों की सैन्य टुकड़ी ने विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था.
नालंदा यूनिवर्सिटी का परिसर इतना विशाल था कि कहा जाता है कि हमलावरों के आग लगाने के बाद परिसर तीन महीने तक जलता रहा. इन दिनों नज़र आने वाली 23 हेक्टेयर की साइट मूल यूनिवर्सिटी परिसर का एक हिस्सा भर है, लेकिन इस हिस्से में मठों और मंदिरों के अवशेषों को देखकर यह महसूस होता है कि यहां कितना कुछ सीखने को रहा होगा.
आपको बता दें की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया. सुबह के समय नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचे पीएम मोदी ने पहले विश्वविद्यालय की पुरानी धरोहर को करीब से देखा. इसके बाद वह यहां से नए कैंपस में पहुंचे, जहां उन्होंने बौधि वृक्ष लगाया और नए कैंपस का उद्घायन किया।।
बता दें कि साल 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था इसके बाद विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू किया गया. विश्वविद्यालय का नया कैंपस नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास बनाया गया है. इस नए कैंपस की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से की गई है.