UP News: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ी हार का सामना अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट पर करना पड़ा. शायद ही भाजपा ने कभी सोचा होगा कि जिस अयोध्या और राम मंदिर का मुद्दा बनाकर उसने राजनीति की, उसी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के फौरन बाद उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा. अयोध्या की हार ने यूपी भाजपा को हिला कर रख दिया है.
लल्लू सिंह के बयान ने विपक्ष को दिया मुद्दा
भाजपा के उम्मीदवार लल्लू सिंह दो बार से अयोध्या से सांसद रहे हैं. बीजेपी ने उनको तीसरी बार मौका दिया. लल्लू सिंह ने अयोध्या में संविधान को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिसका डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश खुद नरेंद्र मोदी ने की, लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ. लल्लू सिंह ने अपने बयान में कहा कि ‘सरकार तो 275 सांसदों से बन जाएगी, लेकिन संविधान बदलने के लिए ज्यादा सांसदों की जरूरत होगी. तभी संविधान बदल सकता है.’ इस बयान के जरिए लल्लू सिंह ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया जिसे सपा ने बखूबी भुनाया.
लल्लू सिंह के बयान को अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने लोगों के सामने इस तरह से रखा कि अगर भाजपा की सरकार 400 पार कर गई तो संविधान बदल सकती है. इससे मायावती के कोर दलित वोटर्स में ये मैसेज पहुंचा कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान को बदलकर आरक्षण को हमेशा के लिए खत्म कर देगी. इसके बाद खुद नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘अगर बाबा साहेब अंबेडकर स्वयं उतर आए, तो भी संविधान नहीं बदला जा सकता.’ लेकिन फिर भी ये बात लोगों ने नहीं मानी और लल्लू सिंह के बयान का डैमेज कंट्रोल नहीं हो पाया
ऐसे सपा ने बिछाई जाति की बिसात
माहौल को देखकर अखिलेश ने बड़ा दांव चला और सामान्य सीट होने के बावजूद अखिलेश ने अयोध्या की अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अवधेश पासी को उम्मीदवार बना दिया. संख्या के लिहाज से अयोध्या की सबसे बड़ी जाति पासी बिरादरी मानी जाती है. अवधेश पासी बिरादरी का मजबूत चेहरा हैं और छह बार विधायक रह चुके हैं.
आरक्षण खत्म न हो जाए, इस डर से दलित, ओबीसी, कुर्मी आदि सभी जातियां एकसाथ गोलबंद हो गईं. इसके बाद अयोध्या में नारा चला- ‘ न मथुरा, न काशी, सिर्फ अवधेश पासी’. फिर जो हुआ वो आप सबके सामने है. अयोध्या में सपा के अवधेश पासी को कुल 5,54,289 वोट मिले और लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट हासिल हुए और अवधेश पासी 54,567 वोटों से जीत गए.
ऐसे में हम आपको अयोध्या-फैजाबाद सीट पर मिली भाजपा की हार के मुख्य कारण बताने जा रहे हैं.
- अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट को लेकर भाजपा काफी ओवर कॉन्फिडेंस रही. राम मंदिर निर्माण की वजह से भाजपा संगठन और नेताओं को लगा कि वह ये सीट आसानी से जीत लेंगे. इसकी वजह से लोकसभा सीट पर पार्टी संगठन और भाजपा नेताओं ने भ्रमण ही नहीं किया और ना ही कोई खास मेहनत की.
- भाजपा ने मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को ही फिर से मैदान में उतारा था. मगर क्षेत्र में सांसद को लेकर भारी नाराजगी थी. सिर्फ जनता में ही नहीं बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के संगठन में भी प्रत्याशी को लेकर गुस्सा था.
- भाजपा के कार्यकर्ता और क्षेत्रीय संगठन के नेता भी खुद को काफी उपेक्षित महसूस कर रहे थे. उनका कहना था कि पार्टी नेता उनकी सुनते नहीं और वह अपना या जनता का काम भी नहीं करवा पा रहे.
- राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या पूरे देश-विदेश में चर्चाओं में आ गया. ऐसे में यहां हर दिन वीवीआईपी लोगों का आना-जाना शुरू हो गया. ऐसे में यहां हर दिन बड़े और कड़े प्रोटोकॉल लगने लगे, जिनसे अयोध्या के लोग भी परेशान हो गए. कई-कई बार तो अयोध्यावासियों की गाड़ियों उनके घर से 3 किलोमीटर पहले ही रोक ली गईं. इस कारण से भी अयोध्या के लोगों में सांसद और सरकार को लेकर काफी गुस्सा था.
- राम पथ, भक्ति पथ, कौसी मार्ग, परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर लोगों के मकान तोड़े गए.
माना जा रहा है कि यही कारण रहे, जिसने अयोध्या-फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के साथ बड़ा खेला कर दिया और उसे ऐसा दर्द दे दिया, जिससे उबर पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला. इसने भाजपा की इमेंज को भी ऐसी चोट पहुंचाई है, जो लंबे समय तक भाजपा को दर्द देती रहेगी. माना जा रहा है कि यूपी भाजपा संगठन अयोध्या-फैजाबाद सीट पर जमीनी हालात को पकड़ ही नहीं पाया और वह पूरी तरह से यहां अंधकार में रहा, जिसका नतीजा रहा कि भाजपा को यहां हार मिली और इसने सभी को चौंका दिया